धमतरी जिले के जंगलों में आगजनी रोकने वन विभाग महुआ पेड़ों की नंबरिंग और ग्रामीणों की कर रहे पहचान
धमतरी जिले के जंगलों में आगजनी रोकने वन विभाग महुआ पेड़ों की नंबरिंग और ग्रामीणों की कर रहे पहचान

धमतरी/ जिले के जंगलों में आगजनी की लगातार घटना सामने आ रही है। जनवरी से अप्रैल तक 4 महीने में 320 जगह जंगल में आग लगी, लेकिन इनमें से 80 फीसदी केस गर्मी में ही हुए हैं, क्योंकि ग्रामीण महुआ बीनने के लिए आग लगाकर छोड़ देते हैं जो जंगल में धधक रही है। अब तक आगजनी की छोटी घटनाएं ही हुईं, जिसे फायर वाचर की मदद से बुझाया लिया है। अब आगजनी रोकने वन विभाग महुआ पेड़ों की नंबरिंग और इसका लाभ लेने वालों की पहचान कर रहा है।
आग लगी तो जिम्मेदारी तय कर समझाइश और कार्रवाई होगी । ज्यादातर घटना केरेगांव, सिंगपुर व नगरी में ही हुई है। सालभर में 320 केस सामने आए हैं। मई में और भीषण गर्मी पड़ने की संभावना है। आग रोकने वन विभाग की टीम के सामने चुनौती है। 2023 में जंगलों में 253 घटनाएं हुई थीं। वन विभाग को घटनाओं की जानकारी फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया के सैटेलाइट से ही मिलती है।
जहां आग लगती है, उसके कुछ समय बाद ही सही आकलन कर सैटेलाइट संबंधित बीट गार्ड, डिप्टी रेंजर, रेंजर, डीएफओ सहित संबंधित अधिकारी को मैसेज पहुंचता है। इसके लिए क्षेत्रवार सभी कर्मचारी व अधिकारियों के नंबर को एफएसआई (फ्लोर स्पेस इंडेक्स) से पंजीकृत किया है। पंजीकृत नंबर पर ही सैटेलाइट से आगजनी की सूचना प्राप्त होती है, जिसे समय रहते बुझाई जाती है। जागरूक करने के साथ लोगों को दिला रहे शपथ डीएफओ जाधव कृष्णा ने कहा कि जंगल में आगजनी रोकने हरसंभव प्रयास जारी है।
महुआ पेड़ की नंबरिंग कर इसका लाभ लेने वालों को चिह्नांकित कर आग नहीं लगाने जागरूक कर रहे हैं। उन्हें शपथ भी दिला रहे हैं। जिले में फायर वाचर की टीम अलर्ट है। वन विभाग की टीम इन पेड़ों की नंबरिंग कर रहा है और इसका लाभ लेने वाले परिवारों की पहचान कर पंजीयन मेंटेन कर रही है। इससे यदि इन पेड़ों के आसपास लगी आग जंगल में फैली तो परिवार की ही जवाबदेही तय की जाएगी।
